An IIT Bombay study using satellite data shows rising greenhouse gas levels over Delhi and Mumbai and also identifies emission hotspots in these cities.

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హిమాచల్ ప్రదేశ్‌లోని స్పితి వ్యాలీలో మంచు చిరుతపులి సాంద్రతను ప్రభావితం చేసే కారకాలు పరిశోధకులు గుర్తించారు.

భారతదేశంలోని ఓపెన్ నేచురల్ ఎకోసిస్టమ్స్ (ONEలు) యొక్క అధిక-రిజల్యూషన్ మ్యాప్‌ను తయారు చేయడంలో పాల్గొన్న పరిశోధకులలో ఒకరైన డాక్టర్ ఎమ్ డి మధుసూదన్‌తో రీసర్చ్ మ్యాటర్స్ చర్చించి, పరిశోధన విషయాలు మరియు అంతర్దృష్టులను పొందారు. ఇవి ఇంటర్వ్యూ సారాంశాలు.

संमिश्र स्वरूपाचा सच्छिद्र द्राव वापरून औद्योगिक उत्सर्जनातील कार्बन डायऑक्साइडचे शोषण आणि त्याचे कॅल्शियम कार्बोनेटमध्ये रुपांतर केले जाऊ शकते.

शोधकार्य, एक सरंध्र तरल, सम्मिश्रण के उपयोग का सुझाव देता हैं जिससे औद्योगिक अपशिष्टों से अवशोषित कार्बन-डाइऑक्साइड को कैल्शियम कार्बोनेट में परिवर्तित किया जा सकता है।

जैसा कि हम 2022 में कदम रख रहे हैं, यह समय है कि हम उन लेखों पर चिंतन करें जिन्हें हमने पिछले वर्ष प्रकाशित किया था। हमें खुशी है कि आप हमारे द्वारा प्रकाशित इन लेखों के साथ हमसे जुड़े। यह कहना कठिन हैं कि 'इनमे से सर्वश्रेष्ठ लेख कौन सा हैं...', क्योंकि प्रत्येक का अपना अलग प्रभाव रहा। रिसर्च मैटर्स की संपादकीय टीम ने पाँच रोमांचक लेखों को (वरीयता के किसी विशेष क्रम

२०२१ च्या सरतेशेवटी मागे वळून बघताना असे दिसून येते की आपल्या सर्वांना अनेक बऱ्या-वाईट अनुभवांना सामोरे जावे लागले. जग वैश्विक महामारीचा सामना करायला शिकत असताना एक शाश्वत आधार कायम होता आणि राहील. तो म्हणजे विज्ञान आणि तंत्रज्ञान.

In 2021, the pandemic continued in new avatars, throwing different challenges at us. Undaunted, researchers dived into the far realms of science, and we at Research Matters strived to bring those fascinating finds to the fore.

भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, मुंबई के शोधकर्ताओं के प्रस्ताव को कार्बन निष्कासन के लिए दी जाने वाली X-पुरस्कार छात्र प्रतियोगिता में चयनित किया गया।

शोधार्थियों ने प्रदर्शित किया कि पूर्व में ‘मूक संकेतक’ समझे जाने वाले दो ग्राही वास्तव में मूक नहीं हैं तथा अपेक्षा के विपरीत भिन्न तंत्र के माध्यम से संकेतन करते हैं।

ಒಂದು ಅದ್ಭುತವಾದ ವರ್ಷದ ಅಂತ್ಯದಲ್ಲಿದ್ದೇವೆ ನಾವು! ೨೦೨೧ ವರ್ಷದಲ್ಲಿ ಸಂಶೋಧನೆ ವಿಷಯದಲ್ಲಿ ಭಾರತದಲ್ಲಿ ನಡೆದ  ಘಟನೆಗಳನ್ನು ಮೆಲುಕುಹಾಕುವ ಬನ್ನಿ! ೨೦೨೧ ನೇ ಇಸವಿ ಬಹಳಷ್ಟು ಜನರಿಗೆ  ಏರುಪೇರಾಗಿತ್ತು. ಕೋವಿಡ್ -೧೯ ಹರಡುವಿಕೆಯ ಅಲೆ ಶಿಖರದಲ್ಲಿದ್ದರೂ ೨೦೨೦ರಲ್ಲಿ ಕಂಡುಹಿಡಿದ ಲಸಿಕೆಯನ್ನು ಭಾರತದಲ್ಲಿ ೨೦೨೧ ರಲ್ಲಿ ಪರಿಚಯಿಸಿದ್ದು ಒಂದು ಸಾಧನೆ.

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