टीबी या क्षय रोग, जो माइकोबैक्टीरियम ट्यूबरक्लोसिस नामक बैक्टीरिया के कारण होता है, दुनिया भर में मृत्यु का एक प्रमुख कारण है। अकेले २०१७ में, दुनिया भर में १ करोड़ लोग इस बीमारी से प्रभावित थे, और लगभग १६ लाख लोगों ने इसकी वजह से दम तोड़ दिया। कई मौजूदा दवाओं के प्रतिरोध विकसित करने वाले बैक्टीरिया के कारण, भारत जैसे देशों में यह स्थिति गंभीर हो रही है। हाल ही के एक अध्ययन में, वीर नर्मद दक्षिण गुजरात विश्वविद्यालय, गुजरात के शोधकर्ताओं ने ट्यूबरक्लोसिस के खिलाफ कुछ संभावित दवाओं का विकास किया है और टीबी बैक्टीरिया और अन्य रोगाणुओं के प्रतिकूल उनकी दक्षता
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Researchers estimate that half of these deaths, resulting in India and China, can be prevented.
पिछले कुछ महीनों में, फ्रांस, न्यूजीलैंड और संयुक्त राज्य अमेरिका जैसे देशों में खसरे के प्रको
मूत्र को रोके रखने वाली माँसपेशियों का संचालन करने वाली वैद्युतीय गतिविधियाँ मूत्र असंयमिता (Urinary Incontinence) को समझने की कुंजी हैं।
भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान मुंबई और सीएसआईआर-एनसीएल के शोधकर्ताओं ने दिखाया है कि गोल्ड-लिपोसोम नैनोहाईब्रिड्स कैंसर कोशिकाओं को नष्ट कर सकने में सक्षम हैं।
शोधकर्ताओं ने तुलना की है कि कैसे ग्रीक और भारतीय गणितज्ञों ने एक गोले का तल -क्षेत्रफल मापा
वैज्ञानिकों ने एक जीवाणु उपभेद की पहचान की है जो बजाय चीनी के, सुगंधित प्रदूषकों को खाना पसंद करता है !
दिल्ली विश्वविद्यालय, वर्धमान महावीर मेडिकल कॉलेज, सफदरजंग अस्पताल, दिल्ली और स्माइल इनक्यूबेटर, स्वीडन के वैज्ञानिकों द्वारा किए गए एक नवीन अध्ययन में गहन देखभाल इकाइयों (आईसीयू) में भर्ती रोगियों में दवा प्रतिरोधी बैक्टीरिया के पाए जाने के खतरनाक मामले सामने आए हैं। जर्नल ऑफ़ एंटीमाइक्रोबियल रेसिस्टेंस एंड इंफेक्शन कंट्रोल में प्रकाशित इस अध्ययन से अस्पतालों में आईसीयू की सुरक्षा को लेकर चिंता बढ़ गई है, जहां ज्यादातर मरीज़ पहले से ही गंभीर स्थिति में होते हैं
आई. आई. टी. बॉम्बे के शोधार्थियों ने अत्यंत छोटे एवं किफ़ायती लेंस बनाने की तकनीक विकसित की है, जिसका उपयोग स्मार्टफोन में किया जा सकता है।
शोधकर्ताओं ने ग्रामीण उद्यमिता को बढ़ावा देने, स्थायी आजीविका पैदा करने और गरीबी से निपटने के लिए एक मॉडल तैयार किया है