पूर्व के कुछ वर्षों में दिल्ली एवं मुंबई के वातावरण में मीथेन के स्तर में वृद्धि इंगित करता छायाचित्र।
श्रेय: अध्ययन लेखक
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शोधकर्ताओं ने भारत के 2030 के नवीकरणीय ऊर्जा जनादेश की पूर्ती के प्रयत्नों का मूल्यांकन करने के लिए ऊर्जा उत्पादन और ग्रिड संचालन का एक बारीकियों से युक्त मॉडल विकसित किया। यह अध्ययन दर्शाता है कि भारत के स्वच्छ ऊर्जा परिवर्तन के लिए लचीलेपन, सामर्थ्य और विश्वसनीयता को संतुलित करते हुए, क्षेत्रीय समन्वय और लचीले अनुपालन तंत्र के साथ-साथ निर्धारित भंडारण और कोयला निर्भरता का चरणबद्ध घटाव महत्वपूर्ण हैं।
माइक्रोफ़ाइबर को बनाते समय ही उन पर नैनोपार्टिकल का लेपन चढ़ाने की आईआईटी मुंबई की नवीन तकनीक एक समान कोटिंग और बेहतर प्रदर्शन सुनिश्चित करती है।
1975 से 2014 के मध्य आई तीन लहरों के प्रभाव से कृषि क्षेत्रों में हुए परिवर्तनों का विश्लेषण करते हुए आईआईटी मुंबई एवं हैदराबाद विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं ने पाया कि भारत के अर्ध-शुष्क उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में होने वाली उपज, खेत के आकार की तुलना में निवेश, ऋण एवं बाजार तक पहुँच पर अधिक निर्भर करती है।
आईआईटी मुंबई के शोधकर्ताओं ने AMVG नामक एक ऐसा मॉडल निर्मित किया है, जो उपग्रह से प्राप्त या दूर संवेदी प्रतिमाओं के मशीनी विश्लेषण को मनुष्य के सामान्य भाषा निर्देशों के आधार पर खोज सकता है।
आईआईटी बॉम्बे के शोधकर्ताओं ने विकेन्द्रीकृत (डिसेंट्रलाइज्ड) ट्रैफिक नियंत्रण प्रणालियों के परीक्षण के लिए नेटवर्क सिद्धांत पर आधारित एक अल्पव्ययी और संगणन में दक्ष गणितीय ढाँचा (फ्रेमवर्क) प्रस्तावित किया है।
प्रयोगशाला में जीवों के उद्विकास को दोहराते वैज्ञानिक, सूक्ष्म जीवों को विभिन्न प्रकार की शर्कराएं देकर उनके अनुकूलन मार्ग में होने वाले परिवर्तनों का अध्ययन कर रहे हैं।
बड़े एवं अखंड वन पारिस्थितिक रूप से स्वस्थ होते हैं एवं जैव विविधता को समृद्ध करते हैं। ये प्राकृतिक एवं मानव-निर्मित बाधाओं का प्रतिकार कर सकते हैं तथा स्वयं को पुनर्जीवित कर सकते हैं। अखंड रूप से आच्छादित ये वन दीर्घकालिक सामाजिक-आर्थिक लाभ प्रदान करते हैं। इसके विपरीत, खंडित रूप से वितरित वन, पौधों तथा जानवरों के अस्तित्व एवं जानवरों के आवागमन को बाधित करते हैं; उदाहरण स्वरूप, मनुष्यों के साथ संघर्ष किए बिना जीवन, शिकार एवं प्रजनन आदि के लिए बाघों को बड़े एवं परस्पर जुड़े हुए वनों की आवश्यकता होती है। यद्यपि भारतीय वन सर्वेक्षण (फॉरेस्ट सर्वे ऑफ इंडिया) तथा अन्
जनपद एवं उप-जनपद स्तर पर सिंचाई जल के कुशल प्रबंधन हेतु शोधकर्ताओं ने वातावरण के पूर्वानुमान, मिट्टी आर्द्रता का उपग्रह डेटा एवं कंप्यूटर सिमुलेशन के संयोजन की नवीन पद्धति विकसित की है।