पूर्व के कुछ वर्षों में दिल्ली एवं मुंबई के वातावरण में मीथेन के स्तर में वृद्धि इंगित करता छायाचित्र। 
श्रेय: अध्ययन लेखक 

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कीटनाशकों का छिड़काव, स्प्रे पेंटिंग, ऑटोमोबाइल इंजनों में ईंधन का इंजेक्शन   और यहाँ तक कि खाना बनाने जैसे कई क्रियाओं में महीन बूँदों का स्प्रे मुख्य रूप में प्रयोग होता है। लेकिन , क्या आपने कभी सोचा है कि यह स्प्रे बनता कैसे है?

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भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान मुंबई (आई आई टी बॉम्बे) के शोधकर्ताओ ने एक जीवन-रक्षक यंत्र विकसित किया है जो स्मार्ट फोन की मदद से दिल का दौरा पड़ने से पहले ही उसका पता लगा सकता है। इस अभिनव सेन्सर की संकल्पना शोध छात्रों, देबास्मिता मोंडोल और सौरभ अग्रवाल, ने प्रोफेसर सौम्यो मुखर्जी के मार्गदर्शन में की है। इसके लिए हाल ही में उन्हें गांधीवादी युवा प्रौद्योगिकी अभिनव पुरस्कार 2018 से

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अधिकांश आधुनिक जीवन इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों के बिना अकल्पनीय है जैसे कंप्यूटर या मोबाइल फोन, जिस पर आप इस लेख को पढ़ रहे हैं, आपके बैठक कक्ष में रखा  टेलीविज़न , आपके रसोईघर में सूक्ष्म तरंग भट्ठी (माइक्रोवेव ओवन) इत्यादि !

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क्या आपने कभी यह सोचा है कि कैसे आपके स्विच दबाते ही बल्ब जगमगा उठता है?

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भारतीय प्रौद्योगिक संस्थान, मुंबई के छात्र ने खिड़की पर लगाए जाने वाले सौर ऊर्जा द्वारा संचालित कुकर का आविष्कार कर ‘गांधीवादी युवा प्रौद्योगिकी अभिनव पुरस्कार’ जीता है।

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भारतीय प्रौद्योगिक संस्थान, मुंबई के छात्र ने एक ऐसे उपकरण का आविष्कार किया है जिसकी सहायता से रक्त लेने के लिए शिराओं को ढूँढ़ने में आसानी होगी।

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आईआईटी मुंबई के शोधकर्ताओं ने, सिमुलेशन का उपयोग कर उड़ीसा के पारादीप बंदरगाह (भारत) में आगामी तटरेखीय परिवर्तनों का अनुमान लगाया|

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वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान परिषद - भारतीय रसायन तकनीकी संस्थान (सी एसआईआर-आईआईसीटी), हैदराबाद के शोधकर्ता एकीकृत तकनीकों के एक सैट पर काम कर रहे हैं जिससे आज दुनिया की दो प्रमुख चुनौतियों का समाधान हो सकता है - खाद्य अपशिष्ट और ऊर्जा का अभाव। शोधकर्ताओं ने चर्चा की है कि कैसे बायो रिफाइनरी एक ऐसी सुविधा है जो ईंधन , बिजली, गर्मी और मूल्य-वर्धित रसायनों का उत्पादन करने के लिए बायोजेनिक अपशिष्ट परिवर्तन प्रक्रियाओं और प्रौद्योगिकियों को जोड़ती है। यह जैवअर्थव्यवस्था के लिए एक टिकाऊ तरीक़ा हो सकता है।

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शोधकर्ताओं ने छोटे और मध्यम फाउंड्री में हरी रेत को पुनः उपयोगी बनाने के लिए एक अत्यधिक प्रभावी समाधान विकसित किया हैं।

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भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान मुंबई का एक अध्ययन पदार्थों के गुणों को आणविक स्तर पर निर्धारित करने में मदद कर सकता है।

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