1975 से 2014 के मध्य आई तीन लहरों के प्रभाव से कृषि क्षेत्रों में हुए परिवर्तनों का विश्लेषण करते हुए आईआईटी मुंबई एवं हैदराबाद विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं ने पाया कि भारत के अर्ध-शुष्क उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में होने वाली उपज, खेत के आकार की तुलना में निवेश, ऋण एवं बाजार तक पहुँच पर अधिक निर्भर करती है।