बड़े एवं अखंड वन पारिस्थितिक रूप से स्वस्थ होते हैं एवं जैव विविधता को समृद्ध करते हैं। ये प्राकृतिक एवं मानव-निर्मित बाधाओं का प्रतिकार कर सकते हैं तथा स्वयं को पुनर्जीवित कर सकते हैं। अखंड रूप से आच्छादित ये वन दीर्घकालिक सामाजिक-आर्थिक लाभ प्रदान करते हैं। इसके विपरीत, खंडित रूप से वितरित वन, पौधों तथा जानवरों के अस्तित्व एवं जानवरों के आवागमन को बाधित करते हैं; उदाहरण स्वरूप, मनुष्यों के साथ संघर्ष किए बिना जीवन, शिकार एवं प्रजनन आदि के लिए बाघों को बड़े एवं परस्पर जुड़े हुए वनों की आवश्यकता होती है। यद्यपि भारतीय वन सर्वेक्षण (फॉरेस्ट सर्वे ऑफ इंडिया) तथा अन्

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मुंबई

भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान मुंबई का एक अध्ययन पदार्थों के गुणों को आणविक स्तर पर निर्धारित करने में मदद कर सकता है।

मुंबई

​एक अध्ययन से पता चला है कि भूमि की ​सतह के तापमान के कारण​,​ नगरों के ऊपर ​कोहरे का ​ठहराव  सिकुड़ जाता है।  ​

अम्लीय वर्षा आजकल एक मुख्य चर्चा का विषय है।  मानव गतिविधियों के कारण प्रदूषण में वृद्धि का प्रतिकूल प्रभाव इसका कारण है ऐसा पर्यावरण वैज्ञानिकों ने बताया है। लेकिन इंसानों के धरती पर विकसित होने से पहले भी अम्लीय वर्षा के साक्ष्य पाये गए हैं। लगभग २५ करोड वर्ष पहले साइबेरियाई क्षेत्र में ज्वालामुखी के  विस्फोट के कारण जो अम्लीय वर्षा हुई उसके कारण लगभग 90%  समुद्री और 70%  स्थलीय प्रजातियां खत्म हुई थी। अम्लीय वर्षा के कारण बड़े पैमाने पर प्रजातियों के लुप्त होने का यह पृथ्वी के इतिहास में सबसे विनाशकारी मामला था।

अगर कोई आपको ये कहे की किसी दूसरे व्यक्ति  का मल आपके लिए दवा सिद्ध हो सकता है, तो शायद आप उसे  पागल समझेंगे। आप उसका भरोसा करना तो दूर की बात बल्कि उसकी इस बेतुकी बात को हँसी में ज़रूर उड़ाने का सोचेंगे । यह बात अविश्वसनीय लगती है, लेकिन यह शत प्रतिशत सत्य है।

लखनऊ

अच्छे स्वस्थ्य के लिए शुद्ध पेय जल एक महत्वपूर्ण ज़रूरत है। अशुद्ध जल पीने से हैज़ा, दस्त, पेचीस, हेपेटाइटिस-ए, और टायफॉइड जैसी बीमारियाँ होती हैं। भारत जैसे देश में, जहाँ २१ प्रतिशत संक्रामक बीमारियाँ दूषित जल के कारण फैलती हैं और साफ-सुरक्षित पेय जल की अनुपलब्धता के कारण प्रतिदिन ५०० से ज़्यादा बच्चे ५ वर्ष की आयु के भीतर ही  दस्त  के शिकार हो जाते हैं, शुद्ध पेय जल उपलब्ध कराना सर्वोपरि आवश्यकता है। वैज्ञानिक तथा औद्योगिक अनुसंधान परिषद (सी.एस.आई.आर.) के भारतीय विषविज्ञान अनुसंधान संस्थान (सी.एस.आई.आर.

मुंबई

मुंबई और कोलकाता शहरों की परिधि पर बने उपनगर​, ​आवास की समस्या का समाधान करने में विफल रहे हैं|

Mumbai

एक अध्ययन में दर्शाया गया है कि क्रिस्टलीकरण से कैसे किसी पदार्थ का आकार  बदला जा सकता है। 

मुंबई

भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (IIT) मुंबई के शोधकर्ताओं ने धारणीय टेक्नोलॉजी का उपयोग करके बैडमिंटन प्रशिक्षण प्रणाली विकसित की है।

मुंबई

भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, मुंबई (आई आई टी बॉम्बे ) के शोधकर्ताओं ने अनार के बीज से पुष्टिकारक तेल, प्रोटीन और रेशे (फाइबर) निकालने का एक बहुत ही आसान तरीका सुझाया है।

मुंबई

शहरीकरण का गाँव के प्राकृतिक ​संसाधनों पर बढ़ता दुष्प्रभाव!​​ प्राकृतिक संसाधनों और आजीविका में अप्रत्याशित परिवर्तन के साक्षी बनते शहरों की परिधि पर बसे गाँव।

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