बड़े एवं अखंड वन पारिस्थितिक रूप से स्वस्थ होते हैं एवं जैव विविधता को समृद्ध करते हैं। ये प्राकृतिक एवं मानव-निर्मित बाधाओं का प्रतिकार कर सकते हैं तथा स्वयं को पुनर्जीवित कर सकते हैं। अखंड रूप से आच्छादित ये वन दीर्घकालिक सामाजिक-आर्थिक लाभ प्रदान करते हैं। इसके विपरीत, खंडित रूप से वितरित वन, पौधों तथा जानवरों के अस्तित्व एवं जानवरों के आवागमन को बाधित करते हैं; उदाहरण स्वरूप, मनुष्यों के साथ संघर्ष किए बिना जीवन, शिकार एवं प्रजनन आदि के लिए बाघों को बड़े एवं परस्पर जुड़े हुए वनों की आवश्यकता होती है। यद्यपि भारतीय वन सर्वेक्षण (फॉरेस्ट सर्वे ऑफ इंडिया) तथा अन्
Deep-dive
जनपद एवं उप-जनपद स्तर पर सिंचाई जल के कुशल प्रबंधन हेतु शोधकर्ताओं ने वातावरण के पूर्वानुमान, मिट्टी आर्द्रता का उपग्रह डेटा एवं कंप्यूटर सिमुलेशन के संयोजन की नवीन पद्धति विकसित की है।
शोधकर्ताओं ने सर्प के शरीर के माध्यम से आरोपित होने वाले एक साधारण से बल के द्वारा इसमें S-स्टार्ट नामक जटिल गति की पुनरावृत्ति को दर्शाने वाला एक ऐसा संगणक प्रतिरूप निर्मित किया है, जो इस गति पर अंतर्दृष्टि प्रदान करते हुए विकासवाद से संबंध बताता है।
आईआईटी मुंबई के अध्ययन ने पाया कि कोलेजन के कारण पेनक्रियाज में हार्मोन के गुच्छों (क्लम्पिंग) का निर्माण होता है, जिससे मधुमेह की उत्पत्ति के एक अज्ञात कारण एवं इसके उपचारार्थ औषधि की पहचान हो सकेगी।
आईआईटी मुंबई के शोधकर्ताओं ने किया प्रचंड शीत के शमन हेतु ग्रीष्मकालीन सौर ऊर्जा का रासायनिक विधियों से संचय।
आईआईटी मुंबई के शोधकर्ताओं ने अध्ययन किया है कि आनत (टिल्टेड) सतह पर रक्त की बूँदें कैसे सूखती हैं एवं फटों (क्रैक्स) के अवशेष इन रक्त बूँदों के विषय में क्या कहते हैं।
जैव सामग्री के समांगी न होने के कारण उसमें व्युत्पन्न तनाव क्षेत्र (स्ट्रेन फील्ड) कोशिका संरेखण (अलाइनमेंट) को कैसे प्रभावित करते हैं ? आईआईटी मुम्बई के शोधकर्ताओ द्वारा विकास, रोग एवं ऊतक अभियांत्रिकी के क्षेत्र में कोशिका व्यवहार संबंधी हमारे ज्ञान को विस्तार देता एक नया अध्ययन।
भारत के एस्ट्रोसैट-CZTI के साथ शोधकर्ता LIGO-Virgo-KAGRA अवलोकन सत्र में अर्हत गुरुत्वाकर्षण तरंग के माध्यम से उच्च-ऊर्जा प्रकाश तरंग की खोज में रत हैं।
कुछ कार्य-आधारित परीक्षणों से ज्ञात होता है कि पीसीओएस विकार महिलाओं की एकाग्रता एवं विभक्त एकाग्रता (डिवाइडेड अटेंशन) को प्रभावित करता है, जिससे प्रतिक्रिया की गति प्रायः 56% एवं सटीकता प्रायः 10% तक घट जाती है।
A microscopic look reveals how the unique ‘handshake’ between rubber and cement could be key to durable, sustainable construction.