बेंगलुरु निवासियों की ३ सितंबर, २०१३ की सुबह इस भयावह समाचार शीर्षक के साथ हुई ‘सतर्क रहें, मनोविकृत रोगी बेंगलुरु में खुलेआम घूम रहा है’ (वॉच आउट, देयर इज साइको ऑन द लूज़)। यह समाचार तमिलनाडू के सलेम शहर के एक ट्र्क चालक एम.
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अध्ययन से ज्ञात होता है कि टेनिस का खेल बहुत कुछ सूचना एवं सम्प्रेषण प्रौद्योगिकी पर निर्भर करता है।
एक गुप्त सर्वेक्षण में पाया गया है कि कैसे दवा की दुकानों में आसानी से मिलने वाली प्रतिबंधित डाइक्लोफेनाक और अन्य गिद्ध- घातक दवाएं दक्षिण एशिया में धीरे-धीरे बढ़ने वाली गिद्ध आबादी के लिए खतरा बनती जा रही है।
जलवायु परिवर्तन की स्थिति में सबसे उपयुक्त कृषि रणनीतियाँ निर्धारित करने के लिए वैज्ञानिकों ने महाराष्ट्र के ग्रामीण क्षेत्रों का सर्वेक्षण किया
क्षय रोग के नाम से ही कई लोग भयभीत हो जाते हैं क्योंकि यह दुनिया भर में मृत्यु के मुख्य कारणों में से एक माना जाता है। हालाँकि अनेक औषधियों के एक साथ उपयोग से इसका उपचार संभव है, इसके जीवाणु में बढ़ती हुई औषध प्रतिरोध की शक्ति के कारण, सार्वजनिक स्वास्थ्य पर संकट आ गया है। माइकोबैक्टीरियम ट्यूबरक्युलोसिस नाम का जीवाणु, जिससे ये संक्रमण होता है, सबसे पहले फेफड़ों
शोधकर्ताओं ने शहरों में पानी के टैंकरों के संचार का नियोजन एवं समय-निर्धारण के लिए एक व्यावहारिक रूपरेखा विकसित की है
शोधकर्ताओं ने पता लगाया है कि कैसे तापमान, आर्द्रता (नमी ) और विभिन्न सतहों के गुण कोविड-१९ से संक्रमित श्वसन बूंदों के वाष्पीकरण दर को प्रभावित करते हैं।
आजकल का अदृश्य हत्यारा, वायु प्रदूषण, आज एक प्रमुख वैश्विक स्वास्थ्य के जोखिम के रूप में हमारे सामने है, जिसने निम्न और मध्यम आय वाले देशों को अधिक प्रभावित किया है। दुनिया के 15 सबसे प्रदूषित शहरों में से 14 अकेले भारत में ही हैं। इसके उचित समाधान हेतु विभिन्न राज्यों में वायु प्रदूषण के स्तर और प्रभाव को समझने के लिए एक राष्ट्रव्यापी व्यापक अध्ययन आवश्यक था। “लैनसेट प्लैनेटरी हेल्थ” नामक शोध-पत्रिका मे
टीबी या क्षय रोग, जो माइकोबैक्टीरियम ट्यूबरक्लोसिस नामक बैक्टीरिया के कारण होता है, दुनिया भर में मृत्यु का एक प्रमुख कारण है। अकेले २०१७ में, दुनिया भर में १ करोड़ लोग इस बीमारी से प्रभावित थे, और लगभग १६ लाख लोगों ने इसकी वजह से दम तोड़ दिया। कई मौजूदा दवाओं के प्रतिरोध विकसित करने वाले बैक्टीरिया के कारण, भारत जैसे देशों में यह स्थिति गंभीर हो रही है। हाल ही के एक अध्ययन में, वीर नर्मद दक्षिण गुजरात विश्वविद्यालय, गुजरात के शोधकर्ताओं ने ट्यूबरक्लोसिस के खिलाफ कुछ संभावित दवाओं का विकास किया है और टीबी बैक्टीरिया और अन्य रोगाणुओं के प्रतिकूल उनकी दक्षता