नया साल शुरू तो हो गया लेकीन हम शायद पिछले साल के हंसीं पलों को याद कर रहे हैं। २०१८ की हमारी एक महत्त्वपूर्ण पहल थी प्रादेशिक भाषाओं में विज्ञान प्रसार। इस की वजह से सम्मोहक विज्ञान कहानियाँ भाषा की सीमाएं पर कर दूर दूर तक पहुँची। कन्नड भाषा से शुरुआत करते हुए हमने हिंदी, मराठी और असमिया में अच्छा प्रदर्शन किया। हमें आशा है कि २०१९ में हम और अच्छा प्रदर्शन करें। पेश कर रहे हैं आप के लिए कुछ प्रादेशिक रस
Society
वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान परिषद - भारतीय रसायन तकनीकी संस्थान (सी एसआईआर-आईआईसीटी), हैदराबाद के शोधकर्ता एकीकृत तकनीकों के एक सैट पर काम कर रहे हैं जिससे आज दुनिया की दो प्रमुख चुनौतियों का समाधान हो सकता है - खाद्य अपशिष्ट और ऊर्जा का अभाव। शोधकर्ताओं ने चर्चा की है कि कैसे बायो रिफाइनरी एक ऐसी सुविधा है जो ईंधन , बिजली, गर्मी और मूल्य-वर्धित रसायनों का उत्पादन करने के लिए बायोजेनिक अपशिष्ट परिवर्तन प्रक्रियाओं और प्रौद्योगिकियों को जोड़ती है। यह जैवअर्थव्यवस्था के लिए एक टिकाऊ तरीक़ा हो सकता है।
मुंबई और कोलकाता शहरों की परिधि पर बने उपनगर, आवास की समस्या का समाधान करने में विफल रहे हैं|
शहरीकरण का गाँव के प्राकृतिक संसाधनों पर बढ़ता दुष्प्रभाव! प्राकृतिक संसाधनों और आजीविका में अप्रत्याशित परिवर्तन के साक्षी बनते शहरों की परिधि पर बसे गाँव।
भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान मुंबई के नवीन अध्ययन में देखा गया है कि भारतीय उपभोक्ता उच्च ऊर्जा दक्षता वाले वातानुकूलक के लिए अधिक भुगतान करने को तैयार हैं!
भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान मुंबई (आईआईटी मुंबई)के एक अध्ययन के अनुसार, एकीकृत कचरा प्रबंधन द्वारा खुले में कचरा फेंकने के कारण होने वाले प्रदूषण को कम किया जा सकता है।
भू-भरण स्थलों में रिसने वाले प्रदूषणकारी द्रव्य से विद्युत उत्पादन करने का एक वैकल्पिक सकारात्मक प्रयास!