ड्रोन-वृंद के जटिल विन्यास को जीपीएस अथवा ड्रोन के मध्य संचार प्रक्रिया के बिना एवं केवल कैमरे से प्राप्त डेटा का उपयोग कर नियंत्रित करने की नवीन युक्ति बताते आईआईटी मुंबई के शोधकर्ता।

Deep-dive

मुंबई

यह अध्ययन क्षतिग्रस्त पुर्ज़ों को दोबारा काम में लाने के लिए एक बेहतर योज्य निर्माण विधि का प्रस्ताव रखता है।

बेंगलुरु

शोधकर्ता डार्क मैटर के कणों का ब्लैक होल की परछाईयों की वृद्धि पर प्रभाव की तहकीकात कर रहे हैं

करनाल

लगभग 11,000 साल पहले, मध्यपूर्व के ‘फर्टाइल क्रिसेंट’ इलाके में किसानों को गेहूँ उगाते हुए एक अनोखी चुनौती से जूझना पड़ता था। पकने के बाद इस जंगली प्रजाति के खपली गेहूँ के दाने कटाई से पहले जमीन पर गिरकर बिखर जाते थे। अगले कुछ हज़ारों वर्षों तक किसानों ने सावधानीपूर्वक चुनकर कुछ पौधों की नस्ल को आगे बढ़ाया जिसके परिणामस्वरूप आज के उपजाए जाने वाले गेहूँ तक हम पहुँच पाये हैं। गेहूँ के दाने अब बड़े हो गए हैं, उनकी उपज बेहतर होती है, और इससे भी महत्वपूर्ण बात यह है कि ये पौधे कटाई तक पके हुए दानों को जकड़े रहते हैं। गेहूँ, चावल, और मकई जैसी फसलों के वर्षों तक चले चुनिंदा

बेंगलुरु

मानवता युद्धों की गाथा के इतिहास की साक्षी रही है। हालाँकि, एक युद्ध ऐसा भी है जो रोज़ाना और लगातार होता रहता है – यह हमारे पाचक आँत में अच्छे और बुरे बैक्टीरिया के है!

मुंबई

अध्ययन में पाया गया है कि भारत में युवा महिलाओं के पास अपनी माताओं की तुलना में बेहतर व्यवसाय नहीं हैं।

मुंबई

शोधकर्ताओं ने पता लगाया कि कैसे मिट्टी की गुणवत्ता में सुधार करने वाला  स्यूडोमोनास नामक जीवाणु  कार्बारिल को हज़म कर जाता  है

बेंगलुरु

भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान बॉम्बे के नेतृत्व में शोधकर्ताओं ने चेन्नई में बाढ़ का पूर्वानुमान लगाने के लिए एक प्रणाली डिज़ाइन की है।

मुंबई

यह अध्ययन विश्लेषण करता है कि शॉपिंग मॉल तक जाने के लिए लोग किस प्रकार का परिवहन चुनते हैं?

मुंबई

शोधकर्ताओं ने अध्ययन किया है कि खराब मौसम की चेतावनी से मछुआरे कैसे निबटते हैं और किस तरह से वे जलवायु परिवर्तन के बुरे प्रभावों के साथ सामंजस्य स्थापित करते हैं।

मुंबई

शोध कार्य, मुंबई महानगर क्षेत्र में विकास ढाँचे का अध्ययन करने के लिए संग्रहीत उपग्रह छवियों के डिजिटल प्रसंस्करण का उपयोग करता है।

बढ़ते शहरीकरण के कारण उसके आसपास की जलवायु, जल संसाधनों और जैव विविधता को अपरिवर्तनीय क्षति हो रही है। दुनिया की आधी से ज्यादा आबादी आज शहरों में रहती है और यह संख्या अगले दशक तक और बढ़ने का अनुमान है। जैसे-जैसे शहर प्रमुख आर्थिक चालक के रूप में दुनिया भर में उभर रहे हैं, यह समझना और सुनिश्चित करना आवश्यक है कि हमारे शहर प्रगति कैसे करते हैं और यह प्रगति कितनी सतत है।

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