बड़े एवं अखंड वन पारिस्थितिक रूप से स्वस्थ होते हैं एवं जैव विविधता को समृद्ध करते हैं। ये प्राकृतिक एवं मानव-निर्मित बाधाओं का प्रतिकार कर सकते हैं तथा स्वयं को पुनर्जीवित कर सकते हैं। अखंड रूप से आच्छादित ये वन दीर्घकालिक सामाजिक-आर्थिक लाभ प्रदान करते हैं। इसके विपरीत, खंडित रूप से वितरित वन, पौधों तथा जानवरों के अस्तित्व एवं जानवरों के आवागमन को बाधित करते हैं; उदाहरण स्वरूप, मनुष्यों के साथ संघर्ष किए बिना जीवन, शिकार एवं प्रजनन आदि के लिए बाघों को बड़े एवं परस्पर जुड़े हुए वनों की आवश्यकता होती है। यद्यपि भारतीय वन सर्वेक्षण (फॉरेस्ट सर्वे ऑफ इंडिया) तथा अन्

Health

दिल्ली

आईआईटी और आईआईआईटी दिल्ली के शोधकर्ताओं ने दुर्लभ कोशिकाओं को खोजने के लिए एक एल्गोरिदम डिज़ाइन किया है।

Guwahati

दीपावली जैसे त्योहारों के दौरान आतिशबाजी का व्यापक उपयोग, बड़ी मात्रा में हानिकारक गैसों और विषाक्त पदार्थों को वायुमंडल में छोड़ता है। परिणामस्वरूप, वायु प्रदूषित हो जाती है जो हमारे स्वास्थ्य को प्रभावित कर सकती है। हाल ही के अध्ययन में, भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, गुवाहाटी और भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, दिल्ली के शोधकर्ताओं ने दीपावली के दौरान पटाखों से होने वाले अत्यधिक वायु और ध्वनि प्रदूषण और स्वास्थ्य पर उनके संभावित प्रभाव का विश्लेषण किया है। अध्ययन के परिणाम स्वास्थ्य और प्रदूषण की विख्यात पत्रिका ‘जर्नल ऑफ हेल्थ एंड पॉल्युशन ‘में प्रकाशित किए गए हैं

बेंगलुरु

भारतीय विज्ञान संस्थान-बेंगलुरु, सीडर-सायनाइ मेडिकल सेंटर-यूएसए और क्लीवलैंड क्लिनिक फ़ाउंडेशन- यूएसए के शोधकर्ताओं द्वारा एक अध्ययन में जीवन के विकास को लेकर लम्बे समय से अनसुलझा एक  रहस्य सुलझाया गया लगता है। ‘द जर्नल ऑफ बायोलॉजिकल केमिस्ट्री’ में प्रकाशित अध्ययन, आज से करीब एक अरब साल पहले के जानवरों के पूर्वजों में दो जीनों के संलयन के बारे में एक ठोस व्याख्या प्रदान करता है।

पुणे

जॉन्स हॉपकिंस स्कूल ऑफ मेडिसिन और बायरामजी जीजीभोय सरकारी मेडिकल कॉलेज के शोधकर्ताओं ने अध्ययन किया कि घरेलू वायु प्रदूषण क्षय रोग को कैसे प्रभावित कर सकता है।

कानपुर

कैंसर, बीमारियों का एक समूह है जिसमें कोशिकाओं में असामान्य वृद्धि होती है और यह शरीर के अन्य भागों में फैल सकती है। लेकिन, क्या आप जानते हैं कि एक कैंसरग्रस्त ऊतक के अंदर सभी कोशिकाएँ समान नहीं होती हैं?

मुंबई

आई आई टी मुंबई के  शोधकर्ताओंने बहुलक आधारित जैवकृत्रिम अग्न्याशय का निर्माण किया

Bengaluru

दक्षिण एशिया, विशेष रूप से भारत, दुनिया में 'चीनी केंद्र' के नाम से जाना जाने लगा है। यह गन्ना पैदा करने की वजह से नहीं है बल्कि टाइप 2 मधुमेह से पीड़ित व्यक्तियों की बढ़ती संख्या के कारण है- एक ऐसी बीमारी जिसमें या तो पैंक्रियास पर्याप्त इंसुलिन का उत्पादन नहीं करता या शरीर की कोशिकाएँ उत्पादित इंसुलिन का उपयोग नहीं कर पातीं । यह एक ऐसी बीमारी है जो अगर सही समय पर ध्यान न दिया जाए तो बढ़ती जाती है और अक्सर यह बीमारी किन्हीं आनुवांशिक कारणों से होती है। मधुमेह का इलाज महंगा होता है और अगर एक

मुंबई

आई आई टी मुंबई के संशोधकोंने गावों में इस्तेमाल के लिए किफायती और कम रखरखाव वाला आर्सेनिक फ़िल्टर विकसित किया 

मुंबई

भारतीय प्रौद्योगिक  संस्थान मुंबई के वैज्ञानिकों द्वारा स्वास्थ्य के संकेतक ई सी जी और ई ई जी की लगातार निगरानी के लिए कम लागत और ऊर्जा की खपत वाला वायरलेस धारणीय उपकरण विकसित 

Bengaluru

वैज्ञानिकों द्वारा ऐसा साधन का विकास जो अल्ट्रासाउंड से संचालित होने पर दवाओं का कहीं अधिक प्रभावी रूप से परिदान कर सकता है

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