यह अध्ययन विश्लेषण करता है कि शॉपिंग मॉल तक जाने के लिए लोग किस प्रकार का परिवहन चुनते हैं?
Science
शोधकर्ताओं ने अध्ययन किया है कि खराब मौसम की चेतावनी से मछुआरे कैसे निबटते हैं और किस तरह से वे जलवायु परिवर्तन के बुरे प्रभावों के साथ सामंजस्य स्थापित करते हैं।
क्षय रोग के प्रसार को नियंत्रित करना भारत के लिए एक महत्वपूर्ण चुनौती रही है, क्योंकि क्षय रोग के विश्व के एक चौथाई से ज़्यादा मामले यहाँ मिलते हैं। क्षय रोग बैक्टीरिया में तेज़ी से दवा-प्रतिरोध के चलते यह स्थिति और ज़्यादा बढ़ गई है। २०१७ तक, भारत में, बहुदवा-प्रतिरोधी क्षय रोग के १,४७,००० मामले दर्ज किए गए। हालाँकि सरकार ने इसे नियंत्रित करने के उद्देश्य से संशोधित राष्ट्रीय क्षय रोग नियंत्रण जैसे कार्यक्रम की पहल की है लेकिन संतोषजनक परिणाम नहीं मिले हैं। दवा-प्रतिरोधी क्षय रोग का सामना कर रहे प्रति व्यक्ति की बाधाओं को समझकर इस बीमारी के प्रसार से निपटने का
शोध कार्य, मुंबई महानगर क्षेत्र में विकास ढाँचे का अध्ययन करने के लिए संग्रहीत उपग्रह छवियों के डिजिटल प्रसंस्करण का उपयोग करता है।
बढ़ते शहरीकरण के कारण उसके आसपास की जलवायु, जल संसाधनों और जैव विविधता को अपरिवर्तनीय क्षति हो रही है। दुनिया की आधी से ज्यादा आबादी आज शहरों में रहती है और यह संख्या अगले दशक तक और बढ़ने का अनुमान है। जैसे-जैसे शहर प्रमुख आर्थिक चालक के रूप में दुनिया भर में उभर रहे हैं, यह समझना और सुनिश्चित करना आवश्यक है कि हमारे शहर प्रगति कैसे करते हैं और यह प्रगति कितनी सतत है।
अध्ययन से पता चलता है कि नौकरशाही और राजनैतिक हित, वन अधिकार अधिनियम के क्रियान्वयन में बाधा डालते हैं।
शोधकर्ताओं ने टिकाऊ, कम शक्ति की खपत वाले ग्राफीन ट्रांजिस्टर बनाने के लिए एक नवीन तकनीक की खोज की है
Study details how floating plastic debris can affect physical processes in the oceans
आईआईटी मुंबई के शोधकर्ताओं ने देश का पहला स्वदेशी रूप से रचित और निर्मित माइक्रोप्रोसेसर विकसित किया है।
हमें अक्सर बताया जाता है कि भारत अपने गाँवों में बसता है। हालाँकि हाल ही में शहरी विकास पर प्रकाशित रिपोर्ट और अध्ययन इस पर प्रश्न चिन्ह लगाते हैं। वैश्विक स्तर पर देखने से पता चलता है कि २०१८ में ५५% आबादी के साथ, ग्रामीण क्षेत्रों की तुलना में शहरी क्षेत्रों में अधिक लोग रहते हैं। संयुक्त राष्ट्र का अनुमान
मनुष्यों में, एक स्वस्थ गर्भावस्था लगभग ४० सप्ताह तक रहती है। हालांकि, दुनिया भर में अनुमानित १.५ करोड़ बच्चों का जन्म लगभग ३७ सप्ताह से पहले ही हो जाता है। अपरिपक्व जन्मों से जुड़ी जटिलताओं के कारण प्रत्येक वर्ष लगभग दस लाख बच्चे मारे जाते है एवं यह पाँच साल से कम उम्र के बच्चों में मृत्यु का एक प्रमुख कारण है। भारत में हर साल लगभग ३५ लाख बच्चे जन्म लेते हैं। भ्रूण के विकास को समझने के लिए अल्ट्रासाउंड उपकरणों की कमी के कारण इनमें से कई बच्चों को गर्भावस्था में सही देखभाल प्राप्त नहीं होती।