बड़े एवं अखंड वन पारिस्थितिक रूप से स्वस्थ होते हैं एवं जैव विविधता को समृद्ध करते हैं। ये प्राकृतिक एवं मानव-निर्मित बाधाओं का प्रतिकार कर सकते हैं तथा स्वयं को पुनर्जीवित कर सकते हैं। अखंड रूप से आच्छादित ये वन दीर्घकालिक सामाजिक-आर्थिक लाभ प्रदान करते हैं। इसके विपरीत, खंडित रूप से वितरित वन, पौधों तथा जानवरों के अस्तित्व एवं जानवरों के आवागमन को बाधित करते हैं; उदाहरण स्वरूप, मनुष्यों के साथ संघर्ष किए बिना जीवन, शिकार एवं प्रजनन आदि के लिए बाघों को बड़े एवं परस्पर जुड़े हुए वनों की आवश्यकता होती है। यद्यपि भारतीय वन सर्वेक्षण (फॉरेस्ट सर्वे ऑफ इंडिया) तथा अन्

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Bengaluru

भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) कानपुर के संगणक विज्ञान एवं अभियांत्रिकी  विभाग के प्राध्यापक नितिन सक्सेना को बीजगणित कॉम्प्लेक्सिटी थ्योरी में उनके काम के लिए २०१८ के शांति स्वरुप भटनागर पुरस्कार से सम्मानित किया गया है। कम उम्र मे ही भटनागर पुरस्कार पाने वाले प्राध्यापक सक्सेना, कम्प्यूटेशनल कॉम्प्लेक्सिटी, बीजगणितीय ज्यामिति आदि क्षेत्रों में शोध कार्य कर रहे हैं।

मुंबई

आईआईटी बॉम्बे के शोधकर्ताओ ने नज़दीकी मोबाइल से डेटा का उपयोग करके बेहतर स्थिति पता करने के लिए एक मोबाइल एप्लिकेशन विकसित किया है। 

मुंबई

आईआईटी बॉम्बे के शोधकर्ताओ ने ग्रैफीन नैनोरिबन्स का उपयोग करके अत्यधिक कुशल ट्रांजिस्टर बनाया है। 

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आईआईटी बॉम्बे के शोधकर्ताओं को महाराष्ट्र के पश्चिमी तट पर संभावित उच्च भू-तापीय तंत्र के प्रमाण मिले

१३ नवंबर २०१८ को इंफोसिस साइंस फाउंडेशन (आईएसएफ) ने इंफोसिस पुरस्कार विजेताओं की घोषणा की है। विजेताओं में भारतीय संस्थानों से, भारतीय विज्ञान संस्थान बेंगलुरू के दो प्राध्यापक, जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय, नई दिल्ली और टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ फंडामेंटल रिसर्च, मुंबई से एक-एक प्राध्यापक हैं।

दिल्ली

भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, दिल्ली में कंप्यूटर विज्ञान एवं अभियांत्रिकी विभाग के प्राध्यापक अमित कुमार, जसविंदर और प्राध्यापक तरविंदर चड्ढा को विज्ञान और प्रौद्योगिकी के प्रतिष्ठित शांति स्वरुप भटनागर पुरस्कार से सम्मानित किया गया है। उन्हें गणितीय विज्ञान श्रेणी के अंतर्गत मिश्रित अनुकूलन (कॉम्बिनेटोरियल ऑप्टिमाइज़ेशन) और ग्राफ-सैद्धांतिक एल्‍गोरिथम के क्षेत्र में अपने उत्कृष्ट शोध कार्य के लिए यह पुरस्कार दिया गया है।

मुंबई

आईआईटी बॉम्बे के शोधकर्ताओं ने सेवा प्रदाताओं के लिए आपके मोबाइल उपकरणों के लिए सही नेटवर्क को कुशलता से प्रबंधित करने के लिए एल्गोरिदम प्रस्तावित किए।

हमारे जीन हमारी शारीरिक संरचना से लेकर, हमें मिलने वाले रोगों तक हमारे जीवन के प्रत्येक पहलू को प्रभावित करते हैं। हमारे जीवन में केवल जीन का ही प्रभाव नहीं होता बल्कि जिस पर्यावरण हम रहते हैं, वो भी हमें प्रभावित करता है। खान-पान, व्यायाम और हमारे निवास स्थान के प्रदूषण का स्तर, सभी हमारे शरीर को प्रभावित करते हैं। अगर बहुत सारे जीन में खराबी आती है तो कैंसर और कोरोनरी धमनी (कोरोनरी आर्टरी) की बीमारी जैसे प्रमुख रोग उत्पन्न होते हैं। लेकिन जीवनशैली और पर्यावरणीय कारक भी इन विकारों और उनकी उग्रता को प्रभावित करने में एक मुख्य भूमिका निभाते हैं। वैज्ञानिक इस तरह

मुंबई

ग्रैफीन, कार्बन का एक द्वि-आयामी, चद्दर रूपी प्रकार है जिसकी विज्ञान और अभियांत्रिकी में बहुत मॉंग है। वैज्ञानिक न केवल इसके गुणों का पता लगाने और उनका उपयोग करने की कोशिश कर रहे हैं बल्कि इसका उत्पादन करने के लिए कुशल और किफ़ायती तरीकों की भी तलाश कर रहे हैं। हाल ही के एक अध्ययन में, भारतीय प्रौद्यौगिकी संस्थान मुंबई (आईआईटी बॉम्बे) के प्राध्यापक राजीव दुसाने और डॉ शिल्पा रामकृष्ण ने परंपरागत तरीकों की तुलना में अपेक्षाकृत कम तापमान पर हाइड्रोजन परमाणु की

शोधकर्ता बचाव कार्यों में मदद के लिए उपग्रह छवियों की मदद से, तेज़ी से खोज को सक्षम करने के लिए एक प्रणाली का प्रस्ताव देते हैं।

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