तटीय क्षेत्रों में तरंग ऊर्जा संयंत्रों हेतु संभावित स्थानों की पहचान
Science
क्षेत्रीय जल संकट निदान हेतु आईआईटी मुंबई के शोधकर्ता मदुरै की ऐतिहासिक जल-संभर प्रणाली की पुनर्स्थापना हेतु प्रयासरत
शोधकार्य, एक सरंध्र तरल, सम्मिश्रण के उपयोग का सुझाव देता हैं जिससे औद्योगिक अपशिष्टों से अवशोषित कार्बन-डाइऑक्साइड को कैल्शियम कार्बोनेट में परिवर्तित किया जा सकता है।
जैसा कि हम 2022 में कदम रख रहे हैं, यह समय है कि हम उन लेखों पर चिंतन करें जिन्हें हमने पिछले वर्ष प्रकाशित किया था। हमें खुशी है कि आप हमारे द्वारा प्रकाशित इन लेखों के साथ हमसे जुड़े। यह कहना कठिन हैं कि 'इनमे से सर्वश्रेष्ठ लेख कौन सा हैं...', क्योंकि प्रत्येक का अपना अलग प्रभाव रहा। रिसर्च मैटर्स की संपादकीय टीम ने पाँच रोमांचक लेखों को (वरीयता के किसी विशेष क्रम में न रखकर) चुना है। हमारे चुने हुए लेख कर्क रोग की चिकित्सा, पर्यावरण, विज्ञान तथा अभियांत्रिकी क्षेत्र से जुडे हैं। हमें उम्मीद है कि आप हमेशा की तरह उन्हें रोचक पाएंगे।
शोधार्थियों ने प्रदर्शित किया कि पूर्व में ‘मूक संकेतक’ समझे जाने वाले दो ग्राही वास्तव में मूक नहीं हैं तथा अपेक्षा के विपरीत भिन्न तंत्र के माध्यम से संकेतन करते हैं।
भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, मुंबई के शोधकर्ताओं के प्रस्ताव को कार्बन निष्कासन के लिए दी जाने वाली X-पुरस्कार छात्र प्रतियोगिता में चयनित किया गया।
भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, मुंबई के प्राध्यापक सुब्रमण्यम चंद्रमौली को 'हरित ऊष्मा' उत्पन्न करने के उनके अभिनव प्रस्ताव के लिए स्वर्णजयंती फैलोशिप वर्ष 2021 से सम्मानित किया गया।
प्राध्यापक अमर्त्य मुखोपाध्याय, स्वर्णजयंती फैलोशिप 2020-21 के प्राप्तकर्ता
शोधकर्ताओं ने त्रिआयामी अनुकरण (थ्री-डी प्रिन्टिंग) को उन्नत बनाने के लिए ज्यामिति और सावरतिकता (आइसोट्रोपी) के बीच सम्बन्ध का अध्ययन किया
लैक्टिक अम्ल को मूल्य प्रभावी और पर्यावरण के अनुकूल बनाने हेतु क्षार और एंजाइम के उपयोग में सुधार की आवश्यकता है।